सोमवार, सितंबर 23, 2013

कुछ लघु कवितायें


मेरी थकन उतर जाती है


हारे थके मुसाफिर के चरणों को धोकर पी लेने से

मैंने अक्सर यह देखा है मेरी थकन उतर जाती है ।

कोई ठोकर लगी अचानक, जब-जब चला सावधानी से

पर बेहोशी में मंजिल तक, जा पहुँचा हूँ आसानी से

                                       - रामावतार त्यागी (Ram Avtar Tyagi)

वसुधा का नेता कौन हुआ? (रश्मिरथी)


सच है, विपत्ति जब आती है,

कायर को ही दहलाती है,

शूरमा नहीं विचलित होते,

क्षण एक नहीं धीरज खोते,

विघ्नों को गले लगाते हैं,

काँटों में राह बनाते हैं।

                                - रामधारी सिंह दिनकर (Ramdhari Singh Dinkar)