बना ब्लॉग और चल अकेला रे

अगर पुकार सुन कोई ना आए, तो चल अकेला रे.......
चल अकेला! चल अकेला! चल अकेला रे......
अगर कोई भी करें ना बात, अगर सभी तुझसे मुँह फेरें
तब तू अपना बना ब्लॉग और मुखर बन
कह अपनी मन-कथा अकेला रे....
चल अकेला! चल अकेला! चल अकेला रे....

आज, अविनाश वाचस्पति (कीबोर्ड का खटरागी) का ब्लॉग पढ़ा. वहीँ से यह मिला. मुझे अच्छा लगा, सो आपके लिए एड कर दिया.

अंगूठा हूं मैं एक, ऊंगलियां चार।
मिले सब हथेली हो गई तैयार।
दसों से करता हूं कीबोर्ड पर वार।
कीबोर्ड ही है अब मेरे लिखने का हथियार।
जब बांध लिया तो बन गया मुक्‍का।
सकल जग की ताकत है अब चिट्ठा।

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