बाबा रामदेव

बाबा रामदेव - एक क्रांति के जनक

आज बाबा रामदेव के बारे में समाचार पढ़ा. बाबा जी मिस्र की अहिंसक क्रांति से प्रेरित हो कर काले धन के कारण एक अहिंसक क्रांति की बात कर रहे हैं. (मूल समाचार को पढ़ने के लिए शीर्षक पर क्लिक करें.)

मैं बाबा रामदेव से पूर्णतः सहमत हूँ. देश के वर्तमान हालात में भारत को एक क्रांति की आवश्यकता है. काले धन के लिए ही नहीं आजकल के राजनैतिक परिदृश्य के लिए भी हम भारतीयों को क्रांति का श्रीगणेश करना होगा.
यह एक हास्यपद स्थिति ही है कि व्यापारियों के एक दल ने सरकार के नाम त्राहि माम का एक खुला पत्र लिखा है. व्यापारी वर्ग तो अक्सर सुविधा शुल्क दे कर जल्दी से अपना काम जल्दी करने में विश्वास रखता है, आज वहि त्राहि माम कर रहा है. किसी भी देश में रिश्वत को बढ़ावा देने में इसी व्यापारी वर्ग का बहुत बडा हाथ होता है.
बुद्धिजीवी क्रांति का प्रेरणा स्रोत हो सकता है, परन्तु बुद्धिजीवी कभी क्रांति नहीं करता. आज बहुत से लोग वातानुकूलित कमरों में बैठ कर मोटा पैसा वसूल कर बहुत ही खूबसूरत और लुभानी बातें करते है. बुद्धिजीवी वर्ग कभी कभी अच्छा विचार भी रखते हैं परन्तु मानना या न मानना जनता पर छोड़ देते हैं. अपने सही और जनता के लिए उपयुक्त दर्शन को क्रियान्वित कराने की इच्छाशक्ति नहीं होती. उसके लिए एक कर्मठ, लोकप्रिय दूरदर्शी और जिम्मेवार नेता चाहिए. क्रांति का सूत्रधार आमआदमी ही हो सकता है.  क्रांति का नेतृत्व एक ईमानदार, कर्त्वयानिष्ठ और नैतिक व्यक्ति के हाथ में होना चाहिए. साथ ही वह दूरदर्शी और चमत्कारिक व्यक्तित्व का स्वामी होना चाहिए. मेरे दृष्टिकोण में बाबा के अन्दर यह सारी खूबियाँ है.
उनके अन्दर जबरदस्त नेतृत्व क्षमता है. उनके असंख्य अनुयायी इस बात का प्रमाण है.
मिस्र की क्रांति टुनिशिया क्रांति से प्रेरित है. मोहम्मद बौजिजि की मौत ने जनता को झकझोर दिया.  कौन है यह मोहम्मद बौजिजि. जिसके बारे में भारत के छोटे से शहर हापुड़ से सम्बंधित मैं दोहा, क़तर में बैठ कर लिख रहा हूँ.
मोहम्मद बौजिजि, रेहड़ी पर सामान रख करगली-गली बेचने वाला विक्रेता था. टुनिशिया में रेहड़ी पर सामान बेचना गैर कानूनी है. वह अपने 9 सदस्यों वाले परिवार का इकलौता कमाऊ सदस्य था. रेहड़ी के लाइसंस के लिए उसके पास पैसे नहीं थे न ही वोह घूस देने की स्थिति में था. इस अपराध के लिए एक नगरपालिका की महिला अधिकारी ने उसे सरेआम थप्पड़ मारा, बुरा भला कहा और उसके मुह पर थूक दिया. इस पर भी वह शांत नहीं हुई अपने २ सहकर्मियों के साथ मिल कर उसे बेहताशा मारा. बौजिजि अगले दिन पुलिस में अपनी रिपोर्ट दर्ज कराने गया तो वहां किसी ने उसकी एक न सुनी. शर्मसार हुए इस शख्स ने वहीँ आत्मदाह कर लिया. उसकी अंतिम यात्रा में शामिल ५००० लोगों ने सरकारी तंत्र की मनमानी के खिलाफ जुलुस की शक्ल धारण कर ली और इस जुलुस ने दो देशों की क्रांति को जन्म दिया. टुनिशिया में सफलता पूर्वक तख्ता पलट हो चूका है. मिस्र में कभी भी हो सकता है. अब मोरक्को में इसी तरह की खबरें है.
यह तो रही पृष्ठभूमि. मुद्दे की बात यह है कि हमारे यहाँ बहुत से किसानो ने आत्महत्या की परन्तु कभी वह एक खबर बन कर रह गयी. आमिर खान ने पीपली लाइव नमक फिल्म बना दी  और हत्बुधि लोगों ने इसे ओस्कर के लिए नामांकित कर दिया. जो घटना देश की राजनीति को बदलती, वह पैसे कमाने का साधन बन गयी. किसी ने इस फिल्म से प्रेरित हो कर कुछ नहीं किया. शायद फिल्म से पैसा कमाने वालों ने भी 1 रूपया भी दान नहीं किया.
बाबा रामदेव इन सब से कुछ अलग हैं. कुछ सोचा है, ठाना है और योग को घर घर पहुँचाया है. वह बिहार के ब्रांड ambassador भी हैं. और बिहार ने आज वो कर दिखाया जो किसी अन्य राज्य में नहीं हुआ. आज हर तरफ नितीश और उनके सहयोगियों की बात हो रही है. प्रेरणा स्रोत गोण है. परन्तु बाबा ने इसमे अपनी वाहवाही नहीं तलाशी.

हमें अपने देश में क्रांति के लिए बाबा के समर्थन में उठ खड़े होना चाहिए.


मनोज