रविवार, जुलाई 01, 2012

रूठे रूठे पिया......

आज सुबह से एक गाना जबान से नहीं उतर रहा था। रूठे रूठे पिया......जया भादुडी (बच्चन) और विजय आनन्द पर फ़िल्माए गए इस गीत के बोल है- मैंने इसे सुना है पर देखा नहीं है. यह गाना बड़ा ही रोमांटिक है बरबस चेहरे पर मुस्कराहट तैर जाती है. ख़राब से ख़राब मूड भी ठीक हो जाता है.

रूठे रूठे पिया मनाऊँ कैसे
आज न जाने बात हुई वो क्यों रूठे मुझसे
जब तक वो बोले न मुझसे मैं समझूँ कैसे
रूठे रूठे पिया, पिया आ आ आ आ
रूठे रूठे पिया मनाऊँ कैसे
रूठे रूठे पिया
वो बैठे है कुछ ऐसे शादी में दुल्हन जैसे
क्या बन के दूल्हा मैं जाऊँ और उनकी मांग सजाऊँ
लम्बी दुल्हन ठिंगना दूल्हा जोडी जमे कैसे
रूठे रूठे पिया पिया आ आ आ आ
रूठे रूठे पिया मनाऊँ कैसे
रूठे रूठे पिया
क्या मुझसे हसीं है किताबें, पिया प्यार से जिनको थामे
मैं नैन मिलाना चाहूँ पर नैन मिला न पाऊँ
सौतन चश्मा बीच में आए, नैन मिले कैसे
रूठे रूठे पिया पिया आ आ आ आ
रूठे रूठे पिया मनाऊँ कैसे
रूठे रूठे पिया

मेरा दूसरा मनपसंद गाना: यह गाना है एक बेमिसाल फिल्म "घर" का. इसे लिखा है गुलजार साहब ने, संगीत से सवार है राहुलदेव बर्मन जी ने और सुर दिए हैं लता जी ने......

तेरे बिना जिया जाए ना......२
तेरे बिना जिया जाए ना.....२
बिन तेरे तेरे बिन साजना
साँस में साँस आए ना
तेरे बिना जिया जाए नातेरे बिना जिया जाए ना
बिन तेरे तेरे बिन साजना
साँस में साँस आए ना
तेरे बिना जिया जाए ना.....

जब भी ख़यालों में तू आए मेरे बदन से ख़ुश्बू आए..... २
महके बदन में रहा न जाए..... रहा जाए ना
तेरे बिना जिया जाए ना... २
बिन तेरे तेरे बिन साजना
होओ.... साँस में साँस आए ना
तेरे बिना जिया जाए ना... २

रेशमी रातें रोज़ न होंगी ये सौगातें रोज़ न होंगी.... २
ज़िंदगी तुझ बिन रास न आए, रास आए ना.....


तेरे बिना जिया जाए ना... २
बिन तेरे तेरे बिन साजना
साँस में साँस आए ना होओ.... तेरे बिना जिया जाए ना...

लता जी ने बहुत ही बेहतरीन अंदाज में गाये हैं। लता जी के लिए दो शब्द कहे है किसी ने.... जानने  के लिए क्लिक करें स्वर सम्राज्ञी