शनिवार, जून 02, 2012

भारत का भ्रष्टाचार संग्राम


यह कैसा नजारा है.... नौकर, मालिक को हद सिखा रहा है ... इस देश का हर व्यक्ति यह जान ले, देश का कानून, देश का संविधान, हमारी संसद. कुछ भी जनता से ऊपर नहीं है. यह सब देश की जनता के लिए हैं. जनता इसमे बदलाव चाहती है तो वह चीज बदलेगी. चाहे कानून हो, संसद हो या संविधान हो. सभी नेता यह जान ले अब नहीं चलने वाली नौकरों की बदतमीजी.
अन्ना तो देश के आम आदमी का चेहरा है. यह सैलाब तो वर्षों से उमड़ रहा था. परन्तु हम सभी मक्कारी को देखते देखते थक गए.
नेताओं ने अपनी मक्कारियों की सभी हदें पार कर दीं. वो कहत हैं इतनी जल्दी नहीं पास होगा यह बिल. मैं एक ही प्रश्न पूछता हूँ. लोकपाल बिल आज नहीं आया वर्षों पहले आ गया था. पर किस पार्टी की सरकार ने पास किया? तो फिर कितना समय चाहिए तुमको बस बहुत हो गया. इसी तरह से समझेंगे यह नेता.
यही नेता जब संसद में हुडदंग मचाते हैं और हम सबको मूक बधिर की तरह देखना पड़ता है. तब संसद की मर्यादा और उसकी सार्वभौमिकता का ख्याल किसी को नहीं आता.

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