डॉ कुमार विश्वास की एक कविता:
मुझमें क्या है सिवा तुम्हारे
मुझमें क्या है सिवा तुम्हारे
टी वी वाले पूछ रहे हैं, क्या छोड़ोगे नए साल में
उधर सुना है अमरीका में, ऐसा कुछ रिवाज़ है शायद
नए साल में खुद ही खुद कुछ, अपने में से कम करने का
मैं क्या छोडू समझ नहीं पाया हूँ अब तक, मुझमें क्या है सिवा तुम्हारे
और तुम्हें कम कर दूँ तो फिर, कहाँ बचूँगा नए साल में ......
उधर सुना है अमरीका में, ऐसा कुछ रिवाज़ है शायद
नए साल में खुद ही खुद कुछ, अपने में से कम करने का
मैं क्या छोडू समझ नहीं पाया हूँ अब तक, मुझमें क्या है सिवा तुम्हारे
और तुम्हें कम कर दूँ तो फिर, कहाँ बचूँगा नए साल में ......
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